गीतिका/ग़ज़ल

अच्छा लगा

कुछ नहीं से कुछ तो किया, अच्छा लगा,
नकारात्मक से सकारात्मक, अच्छा लगा।
है नज़रिये का फ़र्क़, आधा ख़ाली या भरा,
सब खो गया कुछ तो मिला, अच्छा लगा।
घूमते आतंकी लुटेरे मुल्क में, ख़ामोश सब,
कोई उठा जुल्म को ललकारने, अच्छा लगा।
राम का अस्तित्व नही, शपथ लेकर कह रहे थे,
वोट की ख़ातिर सही, मन्दिर जाना अच्छा लगा।
गिरगिट की पहचान जग में, रंग बदलने में माहिर,
रंग बदलते नेताओं का, जेल जाना अच्छा लगा।
करते नहीं थे मान ध्वज का, स्वार्थ में लिप्त थे,
एक दिन राष्ट्र भक्ति, तिरंगा गगन अच्छा लगा।

— डॉ. अ. कीर्ति वर्द्धन