जपे जा राधाकृष्ण
राधा जी के रोम-रोम में बसे कमलनयन, गोविंद ही भरतार,
कान्हा की धड़कन है राधा, जोड़ी को करते हम नमस्कार ।
कृष्ण के मन मंदिर में बसता, एक नाम राधा-राधा,
राधाकृष्ण नाम संकीर्तन से दूर होती जीवन की हर बाधा ।
मथुरा के हैं कृष्ण कन्हैया, बरसाने की राधा गोरी,
श्यामल -श्यामल कुंवर कन्हाई, गोरी-गोरी प्यारी किशोरी,
पीतांबर कान्हा के सोहे, गल तुलसी, वैजन्ती माल,
भाल केशर चंदन तिलक शोभित, अधरों पर बंशी की सुरिली तान ।
राधा जी के पचरंग चुनर, सुंदर पुष्पन का श्रृंगार,
अंखियों में सोहे अंजन, पायल करे झनन-झनन झंकार,
राधा रानी सीधी साधी, महालक्ष्मी का है अवतार,
नटखट है नंदनंदन छलिया हरि, जग के पालनहार ।
राधाकृष्ण महामंत्र है, जपते योगी-मुनि, देवी-देवता, नर-नार,
भवसागर से तार दे ये सुमिरन, दूर करे जीवन का अंधकार,
चित मन एकाग्र कर, श्रद्धा भक्ति भाव से जो ध्याएं,
शरणागत हो वो राधाकृष्ण से, आनंद अमृत जीवन में पाएं ।
— मोनिका डागा “आनंद”