यात्रा वृत्तान्त

लहरों में संगीत लय तान की एकता दृष्टाती है : सिल्वनलेक कनाडा

कनाडा में अनेकानेक ही भव्य झीलें हैं। आकार में, म्यार में, दृश्यावली में, सजावट में, शैली शिल्प निर्माण में तथा छोटे छोटे द्वीप के सुमेल से। परन्तु सिल्वन लेक की अदभुत्ता विश्व प्रसिद्ध है। अनेकानेक ही लोग (यायावर), पर्यटक इस झील के दर्शन करने तथा इसका परिपूर्णता और आनंद की संसिक्तता का आनंद लेने आते हैं। झील का भव्य मनमोहना जिस्म सम्मोहिक्ता तथा रोमांटिकता के साथ-साथ रोमांच पैदा करता है। झील में तैरते तथा लहरों से अठखेलियां करते सुन्दर मर्मस्पशी अर्द्ध-नग्न जिस्म, ध्यान तथा ललक को उत्तेजित करते हुए नई जीवन दृष्टि में जीवन की तीर्व इच्छा पैदा करते हैं। जो सुकून तथा आध्यात्मिकता की कूंजी है। सिल्वन लेक का समूचा विश्व व्यापी संदेश है कि यह सारा विश्व समूचा भूमण्डल एक है। मानव जीवन में संपूर्ण मानवजाती भी एक ही है। जीवन को आनंदमयी बनाती है। झील के स्वरूप और स्वभाव दोनों ही मैत्रीपूर्ण हैं। प्रेम से स्फुरित शान्ति है। दूर-दूर तक पानी की प्रतिष्ठिता और कुलीनता शान्ति, सरल और निरीह है। ऐसे स्थानों से समाज को समझने का अवसर मिलता है। अन्तर की ऊर्जा, सौष्ठव पूर्ण चित्र, संपूर्ण रूप उजागर करते हैं। वातावरण परिवर्तन अनिवार्य है। जीवन, नयी जीवन दृष्टि का आहवान करता प्रतीत होता है। इन्द्रियां मन, संवदेनशीलता और मनोवेग में मूल मानवीय मूल्यों का उदघाटन होता है। ऐसे स्थान श्रद्धास्थान बन जाते हैं। यह स्थान पुरानी धरोहर को संजोऐ प्रकृति के बीच एक अटूट आदान प्रदान करते हैं। यहां की मधुर स्मृतियां, सुगन्ध-सुरभि आत्म संतोष पैदा करते हैं।
सिल्वन लेक के नाम पर बसाया गया यह भव्य शहर है। सिल्वन का अभिप्राय है जंगली। लगभग 1912 में यह एक छोटा सा गांव बसा तथा 20 मई 1946 को एक स्थापित श्हार अस्तित्व में आ गया। इस झील को देखने के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों ही पर्यटक (यायावर) अलग-अलग देशों से आते हैं। इस झील के पहले मेथी, सवान तथा स्केल झील के नामों से भी जाना जाता था। इस का एक अनोखा इतिहास है। शुरू-शुरू में निवासी क्यूवेक तथा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से आए फ्रैंच भाषी लोग थे।

सिल्वन लेक देखने के लिए हम दो परिवार तैयार हो गए। एडमिंटन (एल्वर्टा) से लगभग दो घण्टों का रास्ता होगा। रैड-डीयर शहर से लगभग 20 मिण्ट कार का रास्ता है। हम लगभग दोपहर के 12 बजे के करीब यहां पहुंचे परन्तु तिल फैंकने को जगह नहीं थी। बैठने के लिए कहीं जगह नहीं मिल रही थी। हालांकि यह झील लगभग 15 किलोमीटर लम्बी मीठे पानी की झील है। यह झील रैड डीयर तथा लैकम्बो काऊटी के बीच सीमा ऊपर फैली हुई है। हजारों की संख्या में लोग परिवार सहित, मित्रों दोस्तों सहित इस झील को देखने आए हुए थे। विशेष तौर पर नवयुवक नवयुवतियों तथा बच्चों की संख्या ज्यादा थी। सिल्वन शहर में ख़ूबसूरत होटल तथा ऊंची इमारतें मन छूती हैं। बड़ी मुश्किल से इधर ऊधर घूम के झील के किनारे जगह मिली। यहां कार पार्किंग की बहुत ज्यादा मुश्किल होती। अलबत्ता कोई चारा न चले तो किराए की पार्किंग मिल ही जाती है। कई मीटर घूमने के पश्चात दफ्तरी विभाग की एक साईड में गुजारे मात्र जगह मिल गई। यहां हम ने अपना सामान टिका दिया। झील के किनारे के साथ-साथ भीड़ ज्यादा थी। लोक मनोरंजन मंे व्यस्त थे। अनेकानेक किश्तियां तथा क्रूज पानी में खड़े झील की प्रतिष्टता को चार चांद लगा रहे थे। हम ने मन बना लिया कि सपरिवार क्रूज में बैठकर आनंद लेते हैं। क्रूज का अपना ही आनंद है। डा. हरेन्दर पाल सिंह तथा रेडियो ऐंकर सतेन्दर सरताज ने एक क्रूज की मालिक कनेडियन लड़की से बातचीत की। वह महिला झील की भांति सुन्दर थी। सरल, स्पष्ट, हंस मुख्य स्वभाव की थी वह महिला। थोड़ी गर्मी होने के कारण उसने छोटी निक्कर तथा केवल अंगी ही पहन रखी थी। उस महिला से क्रूज के बारे में बातचीत की।उसने दो घण्टे तक घूमाने के तीन सौ डालर मांगे। आखिर बातचीत के माध्यम से वह दो सौ डालर में सहमति हो गई। क्योंकि इस झील का सबसे बढ़िया क्रूज था। हम सारा सामान लेकर क्रूज में बैठ गए। भव्य क्रूज में हल्के पीले रंग के बढ़िया सोफे लगे हुए थे।

करूज में एक छोटी सी रसोई तथा बाथरूम भी उपलब्ध था। उसने लगभग दो घण्टे हमें घूमाया था। क्रूज थोड़ा आगे बढ़ा तो हमने ऊंची आवाज़ में गीत लगा दिए। क्रूज में सांऊड सिस्टम उपलब्ध था। हम सब भंगड़ा डालने लगे। वह क्रूज मालिक गीतों का संगीत, तान तथा धुने सुन कर बहुत ज़्यादा प्रभावित हुई। उस ने क्रूज का स्टेरिंग सैट कर के स्वंय हमारे साथ भंगडा डालने लगी। उस ने कहा कि बेशाक मुझे भारतीए गीतों की समझ नहीं परन्तु इन का संगीत, धुने मन को नाचने पर मज़बूर करती हैं। वह फिर स्टेरिंग वाली सीट पर जा बैठी तथा क्रूज सही दिशा की और ले जाने लगी। उस ने क्रूज में खाने पीने का सामान रखा हुआ था। हम सब ने क्रूज के स्टेरिंग वाली सीट पर बैठ कर फोटो खिंचवाई। उस ने दो घण्टे तक दूर की, आस पास कीे भव्य इमारितों, द्वीपों तथा आकर्षक दृश्य दिखाए। लहरों में दौड़ती ज़िंदगी जन्नत को पीछे छोड़ती जाती। ठंडी हवाओं के मर्मस्पिशी थपेडे लहरों के टकरा कर अठखेलियाँ, मदमस्तियां करते तो जन्नत पैरों में खेलती। दो घण्टों के पश्यात हम वापिस अपने स्थान पर आ गए। क्रूज से उतरते समय मैंने उस को दस डालर की टिप दी तो उस ने कई बार शुक्रिया अदा किया तथा फिर दोबारा मिलने के लिए अभिवादन की मुद्रा में कहा तथा अपना मोबाईल नम्बर भी दिया। उस ने बड़े इत्मिनान तथा विनम्रता से कहा कि जब भी आप दोबारा आए तो मेरा ही क्रूज करना। उस ने प्यार-सत्कार से हाथ हिला कर बाए-बाए का संदेश दिया।

आसमान में बादलों ने मटरगशती शुरू कर दी थी। रंग बदलने बादलों ने बारिश का पैग़ाम दे दिया था। आसमान में बादलों की गर्ज तथा झील के भव्य नज़ारे जैसे किसी चित्रकार ने चित्रकारी कर रखी हो। यायावर बादलों के साए धरती को छूने लगे। सिल्लवान लेक में कई महत्वपुर्ण स्थान और भी देखने योग्य है।

सर्दीयों में यहां बहुत बर्फ पड़ती है। जिस कर के झील का पानी पत्थर की भांति जम जाता है। इस उपर लोग ख़ास कर के नवयुवक, बच्चे लघु क्रिडा़ क्रियाएं करते हैं। जन्नत इस से आगे नहीं। यहां विभन्न त्यौहार धूम धाम एंव श्रद्धापूर्वक ढंग मनाए जाते हैं। विशेष तौर पर कनाडा डे वाला दिन। रात को खूब आतिशवाजी चलती है। विभिन्न भव्य चित्र बनाती हुई। जैसे आसमान पर चित्रकारी के पन्ने खुलते हों। यहां की सुन्दरता सारी सृष्टि को एक ऩिष्काम कर्म की सीमा में बांध देती है। रात के दृश्य में चकाचौंध कर देने वाली जगमगाहट आन्मसंतोष उत्पत्र करती है। क्योंकि प्रकति स्ततंत्र तथा व्यवस्था बद्ध है। परिणामी है तथा प्रेम स्फूर्ति की दृश्य, नज़ारे, परिपूर्णता, आनंद, इन्द्रिया, मन, संवेदनशीलता और मनोवेग के झूले को झूलाते है। तेज़ हवाओं की कूकर तथा लहरों की छूकर हमेशा याद रहेगी। वास्तव में सिलवन लेक जन्नत ही है। सुन्दरता की कीर्ति और दृश्य-प्रतिष्ठिता सदैव याद रहेगी। आप भी सपरिवार आए सिलवन लेक देखने।

— बलविंदर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409