कविता

सामने जंगल जलाया जा रहा था

गाड़ी से एनाउंस करवाया जा रहा था
वन महोत्सव के लिए सब को बुलाया जा रहा था
मुख्य अतिथि पेड़ों के महत्व पर बोल रहे थे
और सामने जंगल जलाया जा रहा था

पुलिस अधिकारी रिश्वतखोरी बुरी बात है
हाल में बैठे सभी लोगों को समझा रहे थे
आधे घंटे के बाद थाने में पकड़े गए
पच्चास हज़ार की रिश्वत खा रहे थे

सूखा पड़ा था गरीब दाने दाने को मोहताज था
लोगों में पांच पांच किलो अनाज बांटा जा रहा था
रूखी सूखी भी नहीं मिल रही थी गांव वालों को
सरपंच का कुत्ता सोफे पर बैठ कर बिस्कुट खा रहा था

गरीब पानी को तरस रहा था
नल में कई दिनों से पानी नहीं आ रहा था
अफसर की कोठी में धुल रही थी गाड़ियां
और खुल कर क्यारियों में बहाया जा रहा था

दफ़्तर के बाबू को सब खबर थी
साहब क्या क्या क्या हैं करते
बहती गंगा में वह भी हाथ धो लेता था
चुप रहते थे पोल खुल जाने से वह भी थे डरते

सड़कों पर टोल प्लाज़ा लगाया जा रहा था
बहुत खर्च हुआ सड़क पर यह बताया था जा रहा
जनता का जूता चल रहा था जनता के सिर पर ठकाठक
एक करोड़ खर्च कर दस करोड़ कमाया जा रहा था

बेटियों को बचाना है यह नारा लगाया जा रहा था
हॉस्पिटल के सभागार में सबको यह समझाया जा रहा था
ऑपरेशन थियेटर में हो रहा था लिंग परीक्षण
गर्भपात करके बेटी को कोख से मिटाया जा रहा था

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र

Leave a Reply