कविता

यादें रेडियो की

क्या बताएं वो समय ही कुछ और था,
तब मनोरंजन के लिए रेडियो का दौर था,
स्टेशन खुलने से पहले बजते रोचक नये नये गाने,
जो होते थे बड़े ही सुहाने,
बड़े अदब से किया जाता था नमस्कार,
मन प्रफुल्लित होता सुन देश दुनिया का समाचार,
आज के टी वी चैनलों की तरह
कई स्टेशन सुनने को मिलते थे,
पसंदीदा कार्यक्रम सुन दिल खिलते थे,
मेरी दिनचर्या में रेडियो शामिल था अनवरत,
हो चाहे ऋतु सर्दी,गर्मी,बारिश या शरद,
होती थी रोज कृषि पर उपयोगी चर्चा,
मुफ्त की सलाह बिना किये कोई खर्चा,
स्वास्थ्य से संबंधित जब सलाह होते थे,
बच्चे ट्यून बदलने के लिए रोते थे,
कमेंट्री सुनते चक्कर लगा आते खेत का,
तब दौर था राष्ट्रीय खेल हॉकी और क्रिकेट का,
रेडियो सीलोन सुनाता बिनाका गीतमाला,
न सुन पाये तो लगता समय खराब कर डाला,
बी बी सी हिंदी,वॉयस ऑफ अमेरिका,
के साथ पसंदीदा था अपना आकाशवाणी,
आकर्षक,मनमोहक,सुनाता अपनी वाणी,
मेरी शिक्षा में था रेडियो का अहम योगदान,
जानने और सीखने को मिला महत्वपूर्ण ज्ञान।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554