स्वागत है
आओ मां स्वागत है,
मेरे हृदय के मंदिर में,
मन मानसिक स्वागत है,
यह जीवन तुम्हारा है!
जन्मा जब मां बनकर,
तूने दी जीवनधारा है,
बड़ा किया फिर दुनियादारी में,
मां तू ने क्यों उलझाया है!
वेदों – पुराणों में वर्णित है,
यह संसार तुम्हारा है,
अबकी नवरात्रि में आकर,
मुझको दास मां तुझे बनाना है!
बहुत थक गया चलते चलते,
अब मां मुझे विश्राम दिलाना है,
मेरे मन मंदिर में माता शैलपुत्री,
भक्ति की ज्योति तुम्हें जलाना है!
आके बसो मेरे हृदय में,
अपनी भक्ति तुमको मुझे देना है,
सारे दुर्गुण मेरे दूर करो मां,
तुम्हें मुझे कर्ज से मुक्ति दिलाना है!
सिद्धिदात्री बनकर माता,
मेरे अच्छे काम सिद्ध कर देना है,
मां मैं विनती करता हूं,
विश्व में भाईचारा तुम्हें बनाना है!!
— डॉ. सतीश “बब्बा”