लम्हें
हम और तुम
वक़्त के साथ चलते चलते
उम्रदराज हो गए
तुम और मैं दोनों
बाल बच्चें दार वाले हो गए
आज निकाली अलमारी से
पढ़ने को तुम्हारी दी हुई वो किताब
झाँक रहा था उसमें एक गुलाब
जो तुमनें दिया था
जिसे मैंने सम्भाल कर रख लिया था
तुम्हारी दी हुई उसी किताब में
वैसा ही तरोताज़ा था वो गुलाब
जैसे आज ही दिया हो तुमनें