कविता

मेरा मुर्शिद

मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के गम ले आओ
उन गमों को
मेरे मुर्शद की एक मुस्कुराहट से
घायल कर जाओ।

मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के दर्द भरे अश्क़ ले आओ
उन अश्कों को
मेरे मुर्शद की एक निगाह से
कायल कर जाओ।

मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के जख़्म ले आओ
उन जख्मों को
मेरे मुर्शद के एक नाम से
भरकर चले जाओ।

— डॉ. राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233