गीतिका/ग़ज़ल

कोई उसे भी दर्द से मिलाए

नज़्म-ए-वफा सुनाते-सुनाते मेरे आंसू निकल पड़े ,
तोड़ा इस कदर उसने दर्द-ए विरह मे हम जल पड़े।।

मोहब्बत मे पहले वफ़ा कर हसीन स्वप्न दिखाए ,
मोहब्बत मे डूबी मैं जब , तो हमें छोड़ चल पड़े।।

एहसास मेरे जगाते हुए वो तो रूह मे मेरी थे बसे ,
घायल कर वो मेरी रूह , अपनी राह ही बदल बड़े।।

इस टूटे दिल की अब तक दर्द-ए पीड़ नहीं जाती ,
इस दर्द-ए पीड़ कि ना दवा , सोच दर्द से भर पड़े।।

बहलाते अपने मन को अकसर अब यहॉं से वहॉं ,
मन , मनमानी करे , हम अपनी यादों से ही लड़ पड़े।।

क्यों तोड़ वीना को तड़पता छोड़ा तूने दर्द-ए राह मे
कोई तोड़ उसे दर्द से मिलाए , कह राह हम मोड़ चले।।

— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित