कोई उसे भी दर्द से मिलाए
नज़्म-ए-वफा सुनाते-सुनाते मेरे आंसू निकल पड़े ,
तोड़ा इस कदर उसने दर्द-ए विरह मे हम जल पड़े।।
मोहब्बत मे पहले वफ़ा कर हसीन स्वप्न दिखाए ,
मोहब्बत मे डूबी मैं जब , तो हमें छोड़ चल पड़े।।
एहसास मेरे जगाते हुए वो तो रूह मे मेरी थे बसे ,
घायल कर वो मेरी रूह , अपनी राह ही बदल बड़े।।
इस टूटे दिल की अब तक दर्द-ए पीड़ नहीं जाती ,
इस दर्द-ए पीड़ कि ना दवा , सोच दर्द से भर पड़े।।
बहलाते अपने मन को अकसर अब यहॉं से वहॉं ,
मन , मनमानी करे , हम अपनी यादों से ही लड़ पड़े।।
क्यों तोड़ वीना को तड़पता छोड़ा तूने दर्द-ए राह मे
कोई तोड़ उसे दर्द से मिलाए , कह राह हम मोड़ चले।।
— वीना आडवाणी तन्वी