कविता

बुद्ध बार बार आया है

किसी ने भी हमें ये क्यों नहीं बताया है,
कि बुद्ध इस भारत में बार बार आया है,
बुद्ध की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी,
अनुयायियों की छाती सदा तनी रहेगी,
कभी रैदास बनकर गोवर्धनपुर में आया,
जिसने सबको मानवता का पाठ पढ़ाया,
काशी में ही उसी समय कबीर भी आया,
पाखंड और अंधविश्वास पर प्रहार कर
गैर जरूरी बताया,
भोई दी तलवंडी में गुरू नानकदेव का जन्म हुआ,
संगठन से हर अत्याचार का पुरजोर विरोध किया,
छ. ग. के गिरौदपुरी में बुद्ध सी शिक्षा देने
महामानव गुरू घासीदास बाबा जी आया,
मानव मानव एक समान जग को बताया,
शोषण,अशिक्षा की आग से झुलस रहे लोगों को
शिक्षा का महत्व बताने ज्योति बा आया,
दमितों वंचितों के जीवन में शिक्षा दीप फैलाया,
तब तक साहस नहीं किया था किसी स्त्री ने,
नारी शिक्षा दे वो साहस लाया फुले सावित्री ने,
फिर एक शोला भड़का महू नामक स्थान में,
उस भीमराव की गिनती होते विश्व विद्वान में,
दक्षिण धरा में रामास्वामी पेरियार जी आये,
उम्मीद उनमें जगाया जो थे मनु के सताये,
बीहड़ों से निकल कर बिरसा, गुंडाधूर आया,
जल जंगल जमीन पर अपना हक है बताया,
ललई,जगदेव भी लोगों को जगाने वाले थे,
हक़ बताया उनको जिनके पांवों में छाले थे,
फिर एक जलजला बन कर कांशीराम आया,
लोगों के भीतर में राजनीतिक चेतना जगाया,
चेतना जगाने वाले ये सब के सब एक हैं,
इन सबके समय और सिर्फ नाम अनेक हैं।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554