सत्कर्म सकारात्मक सोच बनाती
जितनी रोक लगाई लड़की पर
उतनी लंबी छलांग लगाती है।।
लड़कियां लड़कों से कम नहीं
कलम चला लिख बताती है।।
आज हर क्षेत्र में लड़कियां
सच अपना परचम लहराती है
कमजोर समझने वालों लड़कियां,
धूमिल, शब्दों से भी कर जाती है।।
देखो दोहरी भूमिका लड़कियां
कितनी बखूबी निभा दिखाती है।।
कार्यस्थल पर एक सशक्त महिला तो
घर मे कुशल गृहिणी मे नज़र आती है।।
जान हथेली पर रख औलाद दे
पिता का दर्ज़ा तुम्हें दिलवाती है।।
अरे प्रसव पीड़ा क्या होती वो तुम
लड़कों कहॉं समझ आती है।।
सभी रिश्तों में तालमेल बिठाए,
तभी तो सबके मन को भाती है
झॉंक खुद के भीतर कभी,
तुम्हारी सोच, तुम पर उंगली उठाती है।।
आगे बढ़े जो गृहणी तुमसे अधिक
आग सीने में बैर कि धधक जाती है।।
अरे सही कर्म पर ध्यान देती लड़कियां
तभी तो आज कांधे से कांधा मिलाती है।।
लड़की को पछाड़ने कि कोशिश तुम्हारी
उसे ओर अधिक बढ़ावा दिलाती है।।
गलत कर्म से बेहतर सत्कर्म करना
सत्कर्म सोच सकारात्मक कर जाती है।।
जितनी रोक लगाई लड़की पर
उतनी लंबी छलांग लगाती है
लड़कियां लड़कों से कम नहीं
कलम चला लिख बताती है।।2।।
— वीना आडवाणी तन्वी