कविता

महाकुंभ 2025

प्रयागराज में छाई अनुपम अद्वितीय बहार,
पा लो पवित्रता की “आनंद” दिव्यतम धार,
शुरू होने वाला है विशेष महाकुंभ स्नान,
कर लो चितमन से जप, तप, दान, स्नान ।

साधु-संत, भक्तजनों का जमावड़ा यहां लगा,
अति सुखदाई मंगलकारी संगम मेला है लगा,
कर लो तुम संगम त्याग, तपस्या, तन्मयता का,
खजाना भर लो ईश्वर से अनंत खुशियों का ।

कई वर्षों बाद आया है ये सुनहरा मौका,
धो लो जमा मन का मैल, जन्म-जन्मों का,
भक्ति की नगरिया की ओर प्रस्थान करो,
परमेश्वर का एकाग्र चित् हो ध्यान करो ।

निराला ये आध्यात्मिक, दैहिक, दैविक सुख,
मिटाने वाला है शारीरिक, मानसिक दुःख,
उत्तर आया है धरा पर स्वर्ग अति रमणीक,
पहला शाही स्नान अब शीघ्र ही नजदीक ।

सनातन संस्कृति का देखो भव्य आयोजन,
संचित कर्मों से मुक्ति का श्रेष्ठतम प्रयोजन,
साक्षी बनों अविरल बहती सात्विक बयार का,
पर्व ये अभिनंदन, वंदन, आत्मिक चिंतन का ।

आंखों देखा रोमांचक अविस्मरणीय है ये नज़ारा,
भाग्यशाली वो जिसने यहां थोड़ा समय गुजारा,
इस देवालय में प्रवेश की आई है तुम्हारी बारी,
प्रशासन ने इस बार कर रखी है चकाचक तैयारी ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

Leave a Reply