गीत/नवगीत

गीत 26 जनवरी पर विशेष

इस की शोभा अजब निराली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
कुर्बानी भीतर खुशहाली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
आज़ादी के जन्म दिवस पर इस ने ऐसी घुट्टी पाई।
कर्मठता की धरती ऊपर नवयुग की खेती लहराई।
चार चुफेरे है हरियाली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
इस की शेभा अजब निराली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
भारत मां का सर है ऊंचा योद्धे वीर सपूतों कर के।
गुलशन को है एैसे सींचा अपना सीस हथेली धर के।
फूल खिलें हैं डाली डाली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
इस की शेभा अजब निराली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
सब धर्मो के रूप फबीले एकम भीतर जग-मग जलते।
भिन्न-भिन्न कर्मों में ही रह कर एैसे एक ही लौ में ढलते।
जैसे दीपों वाली थाली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
इस की शेभा अजब निराली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
संविधान कानून अवस्था में रखता है समतोल दिशएं।
मानवता की गोदी भीतर बेशक हो फिर तेज़ हवाएं।
जयों सूरज ने लौ संभाली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
इस की शेभा अजब निराली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
नेक नीयत एंव नव गति नवलय का हो शुद्ध बुद्ध वाला।
लोगो के दरवाजे ऊपर मारे ना वह जबरन ताला।
मिल जाए गर अच्छा माली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
इस की शेभा अजब निराली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
बालम इस के साथ बहारें इस के साथ आज़ादी सारी,
ख़ून शहीदों ने देकर अपना, इस के संग पाई यारी।
करता भारत की रखवाली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।
इस की शेभा अजब निराली अमर रहे गणतंत्र प्यारा।

— बलविंदर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409

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