परवाह
आपको मेरी परवाह है
इस भ्रम से बाहर निकलिए
परवाह करनी है तो खुद की कीजिए।
आपको मेरी परवाह भला क्यों है?
ऐसा है भी तो आप मुगालते में हैं
बेवजह गुमराह हो रहे हैं।
मैंने तो कभी कहा ही नहीं
कि आप मेरी परवाह कीजिए,
इसमें भला मेरा क्या लाभ है?
ये भी तो बता दीजिए।
कौन अपना कौन पराया है
ये भी जरा विस्तार से समझाइए,
मेरी परवाह आप क्यों करते हैं?
ये भी खुलकर बताइए।
उहापोह से बाहर निकलिए
शाँतचित्त होकर विचार कीजिए,
औरों की चिंता में खुद को यूँ बर्बाद मत कीजिए,
मेरी नेक सलाह गाँठ बाँध लीजिए
परवाह करने का ठेकेदार बनना है तो
सबसे पहले अपनी परवाह कीजिए,
और अपने आपको सँवार लीजिए।
सुधीर श्रीवास्तव