कब मुमकिन नहीं
दोस्तों में बिगाड़ है तो,
कोई बात नहीं,
कुछ खट्टी-मीठी यादें ताजा हो जाती है।
कुछ मनमुटाव हो तो वज़ह जानने की जरूरत नहीं है,
इसकी सोहबत में,
रहने की कोशिश,
हमेशा दिख जाती है।
रूठकर जाने वाले,
मजबूत रिश्ते बनाते हैं।
टूटकर जाने वाले,
इतिहास रचने में,
माहिर बन जाते हैं।
जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया जाने की,
जरूरत होती है।
यही हकीकत है,
इसकी वजह से रूबरू होना पड़ता है,
यही मंजिल पर,
पहुंचाने में मदद पहुंचाने की,
भरपूर कोशिश करती है।
ख्वाहिशों को पंख देने की जरूरत नहीं है,
यह बादशाहों को एक सीख देती है।
इसकी वजह से ही,
उम्मीद बनाएं रखने में,
हमेशा तारीख की जरूरत पड़ती है।
अज़ीज़ दोस्तों को पहचानने की,
हमेशा कोशिश करनी चाहिए यहां।
यही हकीकत है,
किनारे पर पहुंचाकर ही,
जज़्बात समझने की,
हरेक पड़ाव पर,
मजबूती से खड़े होकर,
आगे बढ़ने की तरकीब ढूंढनी चाहिए यहां।
— डॉ. अशोक, पटना