कविता

बिरज में होली खेले

राधा राधा भोर शाम
बरसाने आए श्याम
चोरी चोरी चुप चुप
राधा को बुलाए हैं।

सखियों से बच कर
आई राधा छिप कर
भर पिचकारी रंग
राधा को लगाए हैं।

भीगे सारे अंग अंग
ऐसे कान्हा रंगे रंग
बोल कान्हा जाए कैसे
सखियाँ बुलाए हैं।

श्याम बोले राधा रानी
करो नहीं मन मानी
नीज धाम छोड़ छाड़
तेरे लिए आए हैं।

राधिका लजाई गई
नैनन झुकाई लई
अधर पे बंशी धर
श्याम मुस्काए है।

लाल से गुलाबी गाल
पूछो नहीं कैसा हाल
राधिका को संग लिए
रास वो रचाए हैं।

राधा बोली छोड़ो मोहे
लाज नहीं आए तोहे
देख के गुलाबी गाल
गोपियाँ सताए हैं।

कान्हा बोले सुन भोली
संग तेरे खेले होली
तब ही तो गाल पर
गुलाल लगाएं हैं।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com

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