कविता

कविता

इस रुशवाई दुनिया में सब अपनी ,
चाहत ढूंढते हुए नजर आते हैं
जिसके पास चाहत, वो दूर जाते हुए नजर आते हैं
जिसके पास चाहत नहीं,वो ढूंढते हुए नजर आते हैं
चाहतों के इस फसाने में सब तन्हा अकसर नजर आते हैं
चाहत जिसको मिलती, वो कदर कहा करते हैं
और जो कदर करते हैं उनको चाहत मिलती ही कहा है
चाहतों के इस फसाने में लोग
खुद को अकसर भूल जाया करते हैं
इस रुशवाई दुनिया में सच्ची
चाहत मिलती ही कहा किसी को …

— गंगा मांझी

गंगा मांझी

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

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