तेरी याद बहुत आती है
ओ मेरी मां,
तेरी याद बहुत आती है,
आशा दूर तलक,
साथ नहीं निभाती है!
है नहीं कोई,
जो पूछे मुझसे,
कहां जा रहा है,
बापू से बताती हूं!
ढेर सारे उलाहने,
चार गालियों में,
मेरी चिंता दूर कर दे,
गुस्से में भी प्यार दे!
सच कहता हूं मां,
तेरी याद बहुत आती है,
मेरी आंखें भर आती हैं,
जाने मां क्यों चली जाती है!
याद करता हूं,
तेरे आंचल में बंधा,
छोर लेता था दो आना,
पाव भर जलेवी खाना!
तू तो कहती थी,
बहू तुझे खिलौना लाई हूं,
वह खिलौना भी टूट गया,
अब तो रब रूठ गया!!
— डॉ. सतीश बब्बा