गीतिका/ग़ज़ल

एहसासों से मोहब्बत की

जब कलम चलाई तब दर्द ही मेरा झलका है
लिखा जब हर दर्द, तभी तो हुआ मन हल्का है।।

न जाने क्यों बुरी यादें मेरी, मेरा पीछा ना छोड़े
कहती बुरी यादों से मैं, मैंने तुम्हें तो पीछे छोड़ा है।।

क्यों मेरे पीछे-पीछे हर कहीं चली तुम आती हो
चली जाओ बहुत दूर तुमसे मैंने हर नाता तोड़ा है।।

लिखते-लिखते दर्द अब कलम भी थकने लगी
मेरे आंसू, थकान को, मेरी कलम ने मरते देखा है।।

इस घनी रात के अंधेरे मे जाग रही हूॅं मैं तन्हा
अपनी तन्हाई, दर्द को किया अक्सर अनदेखा है

कभी लिपट खुद के एहसासों से मोहब्बत कर लेती
अपनी ही एहसास-ए मोहब्बत को वीणा ने समेटा है।।

— वीना आडवानी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित

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