चाहूं खिलता हो जीवन
चाहूं खिलता हो जीवन, बरगद छाया हो शीतल।
हिल-मिल रहते सकल सुजन, बहती धारा कल-कल कल।।
थामूं माता का आँचल, धूप-छाँव में बने कवच।
बडे-बुजुर्गों का आदर, परवत साया पिता अटल।।
करूं कामना शुभ मंगल, रक्षा का दे भ्रात वचन।
रिश्ता स्नेहिल यह पावन, अपनेपन का भाव सरल।।
बागों में हो अलि गुंजन, कलियां महकें, शीत पवन।
उडे तितलियां इधर-उधर, रंगीली है हिय हलचल।।
फूल खिले हैं लाल चटख, समां सुहाना, प्रेम डगर।
संगी साथी मिल-जुलकर, मौज हर्ष हो चहल-पहल।।