कुण्डली/छंद

संस्कारी हो अपना मन

धर्म कर्म का हो चिंतन,अंतस निर्मल हो पावन।

गंगा यमुना परम सुजल, पापों का कर परिमार्जन।

भारत माँ का हो गौरव, काम सदा करना सुखकर– 

संस्कारी हो अपना मन, जन हित अर्पण जीवन धन।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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