ग़ज़ल
वक़्त के हाल-चाल शैतानी
शिकारियों के जाल शैतानी
अज़ब है खेल ये सियासत का
कामयाबी कमाल शैतानी
क़त्ल होता है जिसमें बंदों का
धर्मो-मजहब बवाल शैतानी
चौंधियाती हुई दुकानों में
बिक रहा माल-ताल शैतानी
हड़प रहे हैं ज़मीनो-जंगल
तिज़ारत के दलाल शैतानी
— कैलाश मनहर