कविता

आगे भी साथ निभाना साथिया

अब तक साथ चले हैं मिल-जुल,
आगे भी साथ निभाना साथिया।

वादा किया था सात जन्मों तक,
साथ रहेंगे वादा निभाना साथिया।

सुख में, दुःख में साथ निभाएंगे,
भूल न जाना ये वादा साथिया।

एक-दूसरे बिन एक पल चैन नहीं,
प्रीत की डोर ऐसी बांधना साथिया।

मेरी हर सांस में तुम-ही-तुम बसते हो,
जीवन भर साथ निभाना साथिया।

धुंधलाई-सी हुई यह जिंदगी है,
सूरज बन रोशनी बन जाना साथिया।

तुम से ही है रोशन मेरा जहां सजना.
पल भर भी मुझ से दूर न जाना साथिया।

बना रहे पल-पल का साथ हमारा-तुम्हारा
सार्थक करना साथ निभाना साथिया।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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