कविता

मृदु वाणी से मन-कमल खिले

मानव-तन मोक्ष का साधन है,
सदुपयोग इसका हम करें,
कोशिश हो तन-मन स्वस्थ रहे,
हम मानवता के कष्ट हरें।

है भाषा प्रेक्षण का साधन,
भाषा में #मृदुता जरूरी है,
भाषा हो ‘गर कटु-व्यंग्यभरी,
रिश्तों में बढ़ती दूरी है।

आनन्द जीवन में जरूरी है,
यह आनन्द खुद के बल पर हो,
दुःख देके किसी को खुश होना,
किंचित भी न होता ठीक अहो!

मृदु वाणी से मन-कमल खिले,

जीवन सुखमय हो जाता है,
यह मन्त्र अचूक सफलता का,
हर कार्य सिद्ध हो जाता है।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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