डिफॉल्ट

यमलोक में वृक्षारोपण

अभी-अभी मित्र यमराज मेरे पास आया 
और बड़े प्यार से फरमाया-
प्रभु! आपको यमलोक चलना है।
मैं चकराया – कहीं भाँग खाकर तो नहीं आया 
जो मुझे लेने यूँ ही चला आया।
यमराज मासूमियत से हाथ जोड़कर कहने लगा
प्रभु ! आप भी न कुछ भी बोल देते हो 
सब कुछ जानते हुए भी भड़क जाते हो
अपने मित्र का दिल दुखाने से भी बाज नहीं आते हो।
मैंने झुँझलाते हुए कहा –
यार! जो कहना है, साफ- साफ बोल
अभी चलना हो तो ये भी झटपट बोल
पहेलियाँ मत बुझा, मुझे और भी काम है,
जिसके बदले मुझे कुछ दाम मिलने वाला है।
अब तू कहे तो अपना नुकसान कर लूँ
और लगे हाथ तेरे साथ अभी यमलोक चल दूँ,
तू साथ चल या नहीं क्या फर्क पड़ेगा 
वैसे भी रास्ते में मुझसे कोई लड़ने भी नहीं आयेगा गा।
बस प्रभु! अब आप एकदम चुप हो जाइए 
पहले मेरी बात ध्यान से सुनिए, 
फिर जो बकना है बकिए।
आपको तो कुछ पता नहीं है 
कि यमलोक का वातावरण भी बहुत दूषित हो रहा है 
वहाँ भी पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है,
बाढ़, सूखा, भूकंप, भूस्खलन,
बादल फटने की घटनाओं में 
अचानक इजाफा होने लगा है,
मौसम का चक्र अनियमित होने लगा है,
लगता है धरती का असर वहाँ भी पहुँच गया है।
मगर मैं ऐसा होने नहीं दूँगा,
जो भी करना पड़े करुँगा
साम, दाम, दंड, भेद के सब हथकंडे अपनाऊँगा
इस पर्यावरण दिवस से वृक्षारोपण का
राष्ट्रीय अभियान शुरू करुँगा,
हर आत्मा को एक-एक वृक्ष का रोपण अनिवार्य कर दूँगा,
जल, जंगल, जमीन पर बढ़ते अतिक्रमण हटवाने का
नया आदेश जारी कर दूँगा,
कोरोना के यमलोक में घुसने के सारे रास्ते बंद कर दूँगा 
पर किसी यमलोक का वातावरण दूषित होने नहीं दूँगा।
बस-बस! अब ठहर जा मेरे बाप
जब सब कुछ तुझे ही करना है तो फिर मैं क्या करुँगा?
क्या मुझे वृक्षों को पानी देना होगा?
नहीं प्रभु! आपको कुछ भी नहीं करना है
बस! ससम्मान मेरे साथ चलना है 
केवल वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ करना है।
यदि आप मेरा प्रस्ताव स्वीकार करेंगे 
तो सच मानिए! अपने मित्र पर बड़ा अहसान करेंगे।
पर मैं आपको बाध्य भी नहीं करुँगा
चुपचाप वापस चला जाऊँगा,
बस यमलोक में वृक्षारोपण की योजना 
ठंडे बस्ते में डाल यहीँ छोड़ जाऊँगा।
मैंने उसे रोकते हुए कहा –
अरे नहीं रे! तुझे ऐसा कुछ नहीं करना पड़ेगा,
क्योंकि मैं तेरे साथ चलूँगा
अब तू मुझे इतना भर बता दें
 मुझे कब आना है, मैं खुद ही आ जाऊँगा 
तेरे वृक्षारोपण प्रस्ताव को अमली जामा पहनाऊँगा
क्योंकि मैं तुझे किसी भी कीमत पर 
दु:खी जो नहीं देख पाऊँगा।
यहाँ तो वैसे भी प्रदूषण से हाल बुरा है 
कम से कम यमलोक में तो 
शुद्ध प्राकृतिक वातावरण का आनंद ले पाऊँगा।
यमराज ने मुझे टोका -ऐसा सोचना भी मत, 
वहाँ आपको भला रुकने कौन देगा?
अभियान की शुरुआत के साथ ही
आपको वापस यहीं भिजवा दूँगा,
समय-समय पर वृक्षारोपण प्रगति की फोटो 
सोशल मीडिया पर डलवाता रहूँगा।
जिसे देख-देख कर आप खुश होते रहना 
भविष्य के लिए आश्वस्त जरुर हो जाना 
जब तक धरती पर प्रदूषण का जहर पीना है 
जमकर पीते हुए जीते रहना,
जब यमलोक में स्थायी निवास करने का विचार बने
तब बेहिचक मुझे याद करना 
और मेरे साथ हमेशा के लिए यमलोक चलना 
हरी- भरी यमलोक वाटिका में आनंद से रहना।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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