सबको खुशी दीजिए
जीवन की कश्ती को पार लगाना है तो, साहस कीजिए,
हवा का रुख तो बदल नहीं सकते, पॉल की दिशा बदलिए।
खुशी देने से खुशी बढ़ती है, सबको खुशी दीजिए,
कभी दुःख देने का विचार न आये, ऐसा यत्न कीजिए।
जीवन है सुख-दुःख का संगम, सुख-दुःख आएंगे-जाएंगे,
मुस्कानों की आहट पाकर, सब दुःख चंपत हो जाएंगे।
जीवन में घटने वाली विषम परिस्थितियाँ भी निखारती हैं,
बाढ़ें आती हैं तो ऊसर मिट्टी को भी उपजाऊ बना जाती हैं।
बोल में सत्यता-सभ्यता का संतुलन हो तो हर बोल अनमोल,
सच्ची-मीठी-हितकर वाणी, बोलिए तोल-मोल कर बोल।
खुद करके दिखाइए, ज्ञानी बनकर मत नीरस उपदेश दीजिए,
लोक कर्म भव सत्य समझकर, प्रथम खुद सत्कर्म कीजिए।
अगर मंजिल पर पहुँचना है तो राह के काँटों से मत घबराइए,
काँटे ही तो चाल की गति तेज करते, समझिए और समझाइए।
आत्मिक ज्ञान,गुणों और शक्तियों से मन का शृंगार कीजिए,
सर्व शक्तिवान प्रभु की मदद का कोई दायरा नहीं, ध्यान दीजिए।
— लीला तिवानी