कविता

सौभाग्य का प्राकट्य

जन्म के साथ मरण नियत है,
आगमन के साथ है प्रस्थान,
प्रस्थान होगा जब दुर्भाग्य का,
भाग्य करेगा सौभाग्य का सम्मान!

सौभाग्य महज नियति का खेल नहीं,
बदला जा सकता है हाथ की लकीरों को,
संयोग से ही नहीं मेहनत से भी देखा है,
बनते राजा किस्मत के फकीरों को!

प्रेम-प्यार और स्नेहमय-स्यंदन,
दे सकते हमको नित्य नव स्पंदन,
इनमें कमी न आने पाए कभी भी,
बरसेंगे ये बन तब ही जीवन-घन।

जन्म के साथ मरण भले ही नियत हो,
आगमन के साथ हो नियत प्रस्थान,
प्राकट्य हो सकता परिश्रम-प्रतिभा से,
दुर्भाग्य का दमन, सौभाग्य का सम्मान!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

Leave a Reply