रहने दो अब जाने दो
निंदा करता निंदक अच्छा, जो कहता है कहने दो।
सुनना धर्म हमारा है सब , रहने दो अब जाने दो।
जब दिन होते सुख के सागर, मीत हजारों बनते हैं।
दुख में साथी मुख सब फेरें, भौंहें अपने तनते है।
जिस से उनका दिल खुश हो, ऐसे ही खुश होने दो।
सुनना धर्म हमारा है सब , रहने दो अब जाने दो।
अपनी सुथरी राहे चलना, झूठे हिम झुक जाएंगे।
देखें गे जब हिम्मत तेरी, सागर भी रुक जाएंगे।
हम ने पाई किस्मत अपनी, उन को उनकी पाने दो।
सुनना धर्म हमारा है सब , रहने दो अब जाने दो।
कुछ कहना अधिकार नहीं है,कहते स्वीकार नहीं है।
चलता हाथी कुत्ते भौंके, उन से प्रतिकार नहीं है।
अपनी मर्यादा में रहना, जूठा खाएं खाने दो।
सुनना धर्म हमारा है सब , रहने दो अब जाने दो।
संस्कार है यही सिखाते, सच के पथ चलना सीखो।
आदर से तुम झुकते रहना, तटिनी सा बढ़ना सीखो।
प्रेम गली में आना चाहें, प्रेम सहित तुम आने दो।
सुनना धर्म हमारा है सब , रहने दो अब जाने दो।
— शिव सन्याल