चोरी एक पाप
रामू चोर को कौन नहीं जानता था ! बच्चा बच्चा गाँव का उसे जानता था . पता नहीं जिंदगी में कितनी चोरिआं उस ने की थीं लेकिन उस के घर की गरीबी उसी तरह बरकरार थी . कभी चोरी से उस को बहुत धन परापत हो जाता , कभी पकड़ा जाता और छे महीने जेल में रहता . उस की बीवी बच्चे थे लेकिन वोह विचारे किया करते किओंकि रामू कुरख्त सुभा का था . अक्सर वोह रात को बाहिर निकल जाता , दूर दूर के गाँवों में घूमता रहता और यहाँ भी उसे दाओ लगता चोरी कर लेता . बहुत दफा वोह सोचता कि यह धंदा छोड़ दे लेकिन मन था कि किसी और धंदे को करने की हिमत ही जुटा नहीं पाता था .
इसी तरह एक दिन वोह चोरी करने के इरादे से बाहिर निकला . जब वोह गुरदुआरे के नज़दीक पुहंचा तो उस के कानों में गियानी जी की आवाज़ सुनाई दी . गियानी जी संगत को मुखातिव करके बोल रहे थे कि चोर के घर कभी दिया नहीं जलता . रामू ने यह बातें पहले भी कई दफा सुनी हुई थीं लेकिन आज यह बातें जैसे उस के सीने में छेद कर गई हों . उस का मन उदास हो गिया . सारी रात वोह इधर उधर घूमता रहा लेकिन चोरी को उस का मन नहीं कर रहा था . वोह दरिया के किनारे चलने लगा . दरिया में पानी नहीं था . दरिया की सुखी रेत चाँद की रौशनी में चिटी चादर की तरह दिखाई दे रही थी . दूर दरिया के पुल पर कभी कभी किसी बस या ट्रक की लाईट दिखाई देती . रामू सोच रहा था कि उसे कहीं से बहुत सा धन मिल जाए और वोह कोई अच्छा सा काम कर ले . आखिर किया रखा था इस काम में ! गियानी जी ठीक ही तो कहते थे कि चोर के घर कभी दिया नहीं जलता .
वोह सोच ही रहा था कि एक बस पुल की रेलिंग से टकरा कर नीचे दरिया में गिर गई . चीखें सुन कर रामू पुल की तरफ भागा और वहां पौह्न्चते ही उसे बहुत सी लाशें दिखाई दीं. वोह हैरान हुआ सोच ही रहा था कि उसे एक औरत की कलाई पर चमकती हुई सोने की चूडियाँ दिखाई दीं. रामू के भीतर का चोर फिर जाग उठा और उस ने कलाई से सभी चूडियाँ उतार लीं . और फिर जैसे वोह पागल हो गिया हो , किसी की घड़ी , किसी का परस और किसी की अंगूठी उतार कर वहां से भागा और खेतों में गुम हो गिया . वोह चलता रहा और ऐसे ही दिन चढ़ आया और खेतों से बाहिर निकल कर वोह सड़क पर आ गिया . उस को भूख लगी हुई थी . कुछ दूर जा कर एक बस अड्डा था . वहां पौहंच कर रामू ने छोले भठूरे लिए और एक दरख़्त के नीचे बैठ कर निश्चिंत हो कर खाने लगा . अभी कुछ मिनट ही हुए थे कि सड़क पर आता हुआ एक ट्रक सड़क पर जाती हुई एक गाए को बचाता हुआ बेकाबू हो गिया और उसी दरख़्त से जा टकराया यहाँ रामू खाना खा रहा था . ट्रक इतनी जोर से टकराया कि साथ ही रामू के चीथड़े उड़ गए . लोग रामू की लाश और बिखरे हुए सोने के गहनों को देख कर तरह तरह की बातें कर रहे थे .
अच्छी शिक्षाप्रद कहानी !
धन्यवाद भाई साहिब .