एक मुक्तक
जरा गौर से देखो कोई बुला रहा अनन्त की ओर
कोमल काया इतनी सीढ़ी जिसका कोई ओर न छोर
मन कितना मतवाला देखो फिर भी हार नही मानी
भर उड़ान उड़ चला गगन में सोच कभी तो होगी भोर
— लता यादव
जरा गौर से देखो कोई बुला रहा अनन्त की ओर
कोमल काया इतनी सीढ़ी जिसका कोई ओर न छोर
मन कितना मतवाला देखो फिर भी हार नही मानी
भर उड़ान उड़ चला गगन में सोच कभी तो होगी भोर
— लता यादव
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सरल शब्दों में अच्छा मुक्तक !