………..नौकरी
हर नगर में हर शहर मे, मै तुम्ही को ढूंढता हॅू। – 2
मेरी जान जाने कहां तू, दर बदर मैं घूूमता हॅू।
फकत मै ही यहां पर, नेक खुद को कहं रहा हॅू।
मंजिले मकसूद खातिर, मैं यहां पर बह रहा हॅू।।
जुलमो सिमत तो सह चुका, दामन तो आके थाम लो –
दिल मेे लिये तस्वीर तेरी, हर जगह को चूमता हॅू।।
हर नगर में हर ……… दर बदर मै घूूमता हॅू।
जब तलक तुम मुझको, सीने से नही लगाओंगी।
तब तलक इस दुनिया में, आवारा मुझको पाओगी।।
मेरी जान अब मुझ पर, और सितम न ढाओ तुम।
दनदना के एक बार, जिन्दीग मंे आ जाओ तुम।।
दिवाना सब सोच रहे है, जो मै हूं ही नही
बेरोजगारी में यारो, मै नौकरी को ढूढता हॅू।।
मेरी जान जाने कहां तू, दर बदर मैं घूूमता हॅू।
हर नगर में हर शहर मे, मै तुम्ही को ढूंढता हॅू। – 2
बहुत अच्छा गीत !