ऐ मेरी जिंदगी
ऐ मेरी जिन्दगी मुझसे तुम रूठ क्यों गई।
मजधार में मुझे इस कदर छोड़ क्यों गई।
जब मुझे ~~कष्टमय जीवन बिताना ही था,
मुझे दरीया के किनारों पर छोड़ क्यों गई।।
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कभी कभी मुझे पल~ सताने क्यों लगता है।
आँखों से आँसू के झरने बहने क्यों लगता है।
हृदय-विदारक क्षण मुझे~ क्यों मिलने लगा ,
दफा होने से पहले फसाने क्यों लगता है।।
••••••••••रमेश कुमार सिंह •••••••••••••