गणेश-वन्दना
हे गणपति गणेश, गौरी नंदन महेश,
सुन लो मेरी प्रार्थना, करो पूरन कामना।।
हर लो सभी विकार, कांतिप्रिय संसकार,
जीवन तब उद्धार, निर्मल ज्ञान भावना।।
ऋद्धि-सिद्धि के हो दाता, मोदक है अति भाता,
निशदिन मैं तुम्हारी, करूँ वंदन साधना ।।
कृपा दृष्टि सदा चाहूँ, कष्ट से न घबराऊँ,
दया करो श्री गणेश, विराजो मन आँगना।।
******गुंजन अग्रवाल
अच्छा कवित्त ! पर लय में थोड़ी कमी है.