आओ हालात बदलें…
उदास से दिन, मायूस सी रात बदलें।
आओ सब मिलकर ये हालात बदलें॥
घोल रही हैं नफरत का जहर हवाओं में जो।
आओ सब मिलकर जहरीली वो बात बदलें।
तुम मेरी समझो, मैं तुम्हारे दिल की सुनुं।
आओ अब कट्टरता के ये सवालात बदलें॥
गिरा दो आस्तीन में छुपाए, खंजरों को।
आओ अब घात की हर बात बदलें॥
इससे पहले की बदल दे, कुदरत सब कुछ।
आओ हम मानवता की, जात बदलें॥
उदास से दिन, मायूस सी रात बदलें।
आओ सब मिलकर ये हालात बदलें…
सतीश बंसल