आज के बच्चे दिल के सच्चे
हरबंस सिंह के बेटे मोहन को कैम्ब्रिज से डिग्री मिली थी। घर में बहुत खुशीआं थीं। इस ख़ुशी में हरबंस सिंह ने अपने और अपने बेटे मोहन के दोस्तों को रैड लॉयन पब्ब में पार्टी का इंतज़ाम कर दिया। पब्ब में सभी बियर और अन्य ड्रिंक पी रहे थे और हरबंस सिंह को बधाई दे रहे थे। बेटे मोहन के सभी दोस्त हाथों में बुडवाइज़र बियर की बोतलें लिए डांस कर रहे थे। एक के बाद एक पंजाबी गाना लगता और सभी झूम झूम कर डांस करते। तभी किसी ने एक और पंजाबी का गाना लगा दिया ” घड़िया पार लंघा दे वे, मिन्तां तेरीआं करदी “. इस गाने की धुन पर सभी मोहन के दोस्त जोर शोर से डांस करने लगे।
जब गाना खत्म हुआ तो मोहन अपनी बोतल ले कर अपने डैडी के टेबल पर आ बैठा और बोला ,” डैडी ! यह गाना हम सब को बहुत पसंद है और इसे बार बार सुनते हैं लेकिन इस के अर्थ हमें किसी को भी पता नहीं है क्योंकि हमें पंजाबी इतनी आती नहीं। हरबंस सिंह बोला, ” बेटा ! जैसे तुम रोमिओ और जूलियट के बारे में जानते हो, इसी तरह ही सोहणी और महींवाल लवर थे जो आपस में बहुत पियार करते थे। सोहणी के घर वालों ने उस की शादी कहीं और कर दी। महींवाल से यह सहन नहीं हुआ और सोहणी के पीछे उस के सुसराल चले गिया और एक दरिया के किनारे पर रहने लगा। सोहनी रोज़ रात को एक घड़े पर तैर कर दरिया के उस पार महींवाल को मिलने जाती और मिलने के बाद फिर तैर कर आती और घड़े को कहीं झाड़िओं में छुपा देती।
सोहनी की ननद को इस बात का पता चल गिया और एक दिन वोह एक कच्चा घड़ा ले कर सोहणी के पीछे जाने लगी। जब सोहणी अपने प्रेमी से मिल कर आई तो उस ने घड़े को छुपा दिया और घर की और चल पडी। सोहणी की ननद ने उस घड़े को हटा कर उस की जगह कच्चा घड़ा रख दिया। जब दुसरी रात को सोहनी अपने प्रेमी से मिलने के लिए घड़े पर तैरने लगी तो उसे महसूस हो गिया कि घड़ा तो कच्चा था, मन ही मन में सोहणी घड़े से मिनतें करने लगी कि वोह उसे दरिया के उस पार ले जाए ताकि वोह अपने प्रेमी से मिल सके। सोहनी डूबने लगी और महिंवाल ने देख कर दरिया में छलांग लगा दी और दोनों मर गए। बेटा ! वोह सच्चे प्रेमी थे, तभी तो आज तक दुनिआ उन्हें याद करती है और लोग उन के गीत गाते हैं ”
मोहन बोला , “डैडी ! तो क्या मेरी बहन सिम्मी का पियार झूठा था जो अर्जन के साथ शादी करना चाहती थी मगर आप माने नहीं थे और मेरी बहन को हमेशा के लिए घर छोड़ना पड़ा, oh come on dad, why this double standard?”
हरबंस सिंह को ऐसा लगा जैसे बीअर के ग्लास में डूब गया हो।
नमस्ते एवं धन्यवाद आदरणीय श्री गुरमेल सिंह जी। आपने कहानी में जो सन्देश दिया है व प्रशंसनीय है। विवाह गुण, कर्म व स्वभाव के अनुसार अच्छे और श्रेष्ठ कुल में ही होना चाहिए। यही महर्षि दयानंद जी की भी शिक्षा है और इससे मिलता जुलता वेद का भी सन्देश है। अतः वेद आधुनिक दृष्टि से भी प्रसांगिक हैं। आपकी पूर्व कहानियों की स्मृति भी सजीव हो उठी। हार्दिक धन्यवाद।
प्यार को हमेशा विरोध का सामना करना ही होता है
प्रेरक कहानी
धन्यवाद बहन जी ,आप का कहना बिलकुल दरुसत है .