गीत
अपनों ने जो किए हैं दिल पे वार दिखाने आया हूँ
घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ
राशन नहीं दुकानों में कितनी काला बाज़ारी है
खून मुफ्त में बहे यहां पानी की कीमत भारी है
आसमानी भाव हो गए आटा-दाल और सब्जी के
अपने देश में आज गरीबी सबसे बड़ी बिमारी है
भूखे, प्यासों की आहें तुम तक पहुंचाने आया हूँ
घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ
लड़ते हैं भाई-भाई, हर तरफ हो रहे दंगे हैं
किस पर हम इल्ज़ाम धरें हमाम में सारे नंगे हैं
हमारे घरों को आग लगाकर अपनी रोटी सेंक रहे
डाकू-हत्यारे हैं नेता अफसर चोर-लफंगे हैं
जागो सोने वालो आज मैं तुम्हें जगाने आया हूँ
घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ
हरकत है नापाक पाक की गर्दन चीन दबाता है,
झुंड सियारों का मिलके शेरों को मारने आता है
लेकिन इस खामोशी को ना कायरता समझ लेना
उसे ना जिंदा छोड़ेंगे जो हमको आँख दिखाता है
जयचंद के सब बेटों को मैं मार भगाने आया हूँ
घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ
लेकिन अब ना और सहेंगे लड़ेंगे इन हालातों से
लातों से समझाएंगे जो ना समझेगा बातों से
बहुत लड़ लिए गैरों के बहकावे में आकर हम-तुम
अब ना किसीको खेलने देंगे हम अपने जज़्बातों से
सबके दिल में क्रांति का इक दीप जलाने आया हूँ
घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ
अपनों ने जो किए हैं दिल पे वार दिखाने आया हूँ
घायल भारतमाता का चित्कार सुनाने आया हूँ
— भरत मल्होत्रा