कविता

नेता…

आज के नेता बहुत चतुर
जनता को खाये कुतर कुतर
उन्हे क्या मतलब जनता सें
बस उन्हे चाहिए अपनी सत्ता
सत्ता के लिए कुछ भी
करने को रहते है तैयार
लम्बी-लम्बी बात्तो से
उल्लु बनाते फिरते है
यें करेंगे ,वो करेंगे
सिर्फ बिकाश की बात करेंगे
अपनी चिकनी चपोडी बात्तो सें
सबको मुर्ख बनाते चलतें
जब मिल जाता गद्दी हाथों में
तो सब वाफाएँ भूल ही जातें
एशों आराम की जिंदगी में
जनता के दु:ख को विसार देते
आज के नेता बहुत चतुर
जनता को खायें कुतर कुतर.
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

One thought on “नेता…

  • विजय कुमार सिंघल

    बढिया !

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