जिन्दगी रोज नया रंग…
जिन्दगी रोज नया रंग, दिखाती हैं मुझे।
फलसफा रोज हकीकत का, सिखाती है मुझे॥
मैं हर एक रात सजाता हूं, ख्वाब खुशियों के।
हर सुबहा दे के नया दर्द, जगाती है मुझे॥
गुरबतो के सफर मे कौन, साथ देता है।
मेरी परछाई भी, अब गैर बताती है मुझे॥
मैं उसूलों को मानता रहा, दौलत मेरी।
दुनियां इस भूल का, अहसास कराती है मुझे॥
बे सबब धडकनें सूकून, ढूंढकर हारी।
मेरी हसरत है कि, दिन रात सताती है मुझे॥
गम सही दर्द सही, नफरतों का दौर सही।
शुक्रिया बंदगी, तू जीना सिखाती है मुझे॥
वो और होंगे जिन्हें, प्यार वतन से प्यार नही।
ये जमीं जान से बढकर, नजर आती है मुझे॥
मेरी तलाश भी होगी, एक दिन पूरी।
मेरी उम्मीद रोज राह, दिखाती है मुझे॥
सतीश बंसल