प्यार
यदि हो जाता है तो जानदार होता
रोजाना देखे बगैर नींद नहीं आती
धर्मो में वो ही ईमान होता
प्यार की ताली दोनों हाथों से बजती
तभी तो प्यार होता
कभी तकरार कभी इजहार होता
प्यार का संदेश ही भगवान होता
प्यार की मंजिलें बढ़ती रहती
जिसमे ऊँची स्पीड ब्रेकर की दीवार होती
मिलने नहीं देती इस पार-उस पार
बस हसरतें ही चाँद का दीदार होती
यदि पा सकता फूलों सा प्यार
ता उम्र यादो की खुशबू से पूजा होती
खुश्बू अमर कभी मरती नहीं
इसलिए तो बहारों को खिलने की सजा नहीं होती
— संजय वर्मा “दृष्टि”