कुपोषण : आखिर अनदेखी कब तलक
सुबह सुबह एक बात हो गई,
अपने आप से ही बात हो गई
भीतर से सवाल आया, बताओ कुपोषण का किससे नाता है ?
मैं बोला टी.बी. जैसे अवसरवादी संक्रमणों से,
रिश्ता, कुपोषण को बहुत भाता है
क्योंकि ये करते हैं, सीधे सामने से प्रहार,
साथ ही मलेरिया, मातृम्रत्यु, शिशुमृत्यु, डिहाइड्रेशन,
जो छुपकर देते हैं, व्यक्ति को,
मौत का दर्दनाक उपहार
सवाल आया, क्या गरीबी की इससे है रिश्तेदारी ?
मैंने कहा यह सवाल है थोड़ा भारी
सिर खुजाया, कानों में उंगली डाली,
और दिमाग करने लगा जुगाली
सवाल बुनियादी रूप से गलत है,
तुम्हें कुछ नहीं, बहुत गफलत है
वास्तव में कुपोषण और अज्ञान का है,
गहरा, बहुत गहरा है सम्बन्ध,
यूं समझों कि अटूट है अनुबंध
किसका अज्ञान, कैसा अज्ञान ?
क्या जवाबदार लोग हैं, अनजान,
या कि बेहद लापरवाह,
मैं गड़बड़ाया नहीं, झुंझलाया भी नहीं,
क्योंकि उसमें थी जानने की गहरी चाह,
मैं बोला, कभी शुतुरमुर्ग को तुमने देखा है ?
वो बोला, मैंने तो जब भी देखा है,
रेत में सिर डाले ही देखा है
हां, वही तो, गोया कि कुछ हुआ ही नहीं,
क्योंकि उसने कुछ देखा ही नहीं
पैसे पैसे के लिए सुबह से भटकते गरीब,
जानकारियों के अभाव में,
वे रहते हैं अज्ञान के ज्यादा करीब,
वे तो यही समझते हैं कि दाल रोटी खाओ,
और प्रभु के गुन गाओ,
वे मानते हैं, दाल ही असली माल है,
वर्ना खाना पोषण के हिसाब से कंगाल है
और दाल ही है जीवन का आधार,
दाल नहीं तो पड़ेंगे बीमार,
दाल खरीद पाते नहीं हैं,
इसलिए वे पोषण पाते नहीं हैं
उन्हें क्या मालूम कि धरती माता बाँझ नहीं है,
दाल नहीं तो पोषण की सांझ नहीं है
सुरजन की सूखी पत्तियों में भी है,
प्रोटीन, दूध से दो गुना,
और केल्शियम दूध से चार गुना,
विटामिन सी संतरे से सात गुना,
विटामिन ए गाजर से चार गुना,
पोटेशियम केले से तीन गुना,
ये तो छह माह में फल फूल देने वाले,
ड्रमस्टिक यानी सुरजन का है कमाल,
दूसरे पेड़ पौधों के अंग भी होते हैं मालामाल,
यदि खोजें एम.सी.आई. या कोई और,
तो पोषण के मामले में हो जाएंगे, हम सिरमौर,
घर बैठे जनता को मिल सकेंगे,
मुफ्त में खनिज, प्रोटीन और विटामिन,
बदल जाएंगे उनके और देश के दिन,
टी.बी., मलेरिया आदि हो जाएंगे कम,
नहीं निकलेगा स्वास्थ्य के बजट का दम
आखिर कब तक रोम जलता रहेगा,
और सेहत के नीरो बंसी बजाते रहेंगे ?
जनोपयोगी शोधों के बिना ही,
वाचनालयों की अलमारियां सजाते रहेंगे ?
— डॉ.मनोहर भण्डारी