यादें •••
रह गई बातें।
रह गई यादें।
सिर्फ मेरे हृदय में,
चली गई करके वादें।
वादा तो निभा न पाई
लेकिन हृदय में स्थान बना गई।
सूबह मिलती है,
सूर्य की किरणों में
आलस्य को छोड़कर,
आती है चिड़ियों की आवाज़ में,
चहकते हुए।
दिखती है धुप में,
दोपहर को चमकते हुए।
कुछ कहना चाहती है,
लिपटते हुए।
लेकिन मिलता नहीं समय
वापस लौट जाती है।
देकर एक क्षण का स्पर्श।
उसी क्षण में विभोर हुए।
सोचता हूँ
तब-तक
आ जाती है संध्या।
पुनः आती है याद बनकर,
साम को थकान मिटाने के लिए।
थपकिया देकर सुलाने के लिए।
करती है पुरा काम।
इतने में निद आती है
वो चली जाती है
पुनः अपने धाम।
शायद यही याद बनकर आती है
और फिर चली जाती है।
@रमेश कुमार सिंह /२०-१२-२०१५
सुंदर कविता
शुक्रिया आदरणीया!!