गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : जीवन के रंग

 

गज़ब हैं रंग जीवन के गजब किस्से लगा करते
जवानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है

बंगला ,कार, ओहदे को पाने के ही चक्कर में
सीधा सच्चा बच्चों का आचरण छूट जाता है

जवानी के नशे में लोग क्या क्या ना किया करते
ढलते ही जवानी के बुढ़ापा टूट जाता है

समय के साथ बहना ही असल तो यार जीवन है
समय को गर नहीं समझे समय फिर रूठ जाता है

जियो ऐसे कि औरों को भी जीने का मजा आये
मदन ,जीवन क्या ,बुलबुला है, आखिर फूट जाता है

— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]

8 thoughts on “ग़ज़ल : जीवन के रंग

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतरीन गजल ! कुछ शब्दों की वर्तनी खटक रही थी। मैंने ठीक कर दी है।

  • लीला तिवानी

    प्रिय मदन भाई जी, जीवन और जवानी का अति सुंदर संदेश.

  • लीला तिवानी

    प्रिय मदन भाई जी, जीवन और जवानी का अति सुंदर संदेश.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    जियो ऐसे कि औरों को भी जीने का मजा आये

    मदन ,जीबन क्या ,बुलबुला है, आखिर फुट जाता है, बहुत खूब .

    • आपकी सार्थक प्रतिक्रया हेतु शुभकामनाओं सहित आप का हार्दिक साभार ,धन्यबाद ……

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