ग़ज़ल : जीवन के रंग
गज़ब हैं रंग जीवन के गजब किस्से लगा करते
जवानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है
बंगला ,कार, ओहदे को पाने के ही चक्कर में
सीधा सच्चा बच्चों का आचरण छूट जाता है
जवानी के नशे में लोग क्या क्या ना किया करते
ढलते ही जवानी के बुढ़ापा टूट जाता है
समय के साथ बहना ही असल तो यार जीवन है
समय को गर नहीं समझे समय फिर रूठ जाता है
जियो ऐसे कि औरों को भी जीने का मजा आये
मदन ,जीवन क्या ,बुलबुला है, आखिर फूट जाता है
— मदन मोहन सक्सेना
बेहतरीन गजल ! कुछ शब्दों की वर्तनी खटक रही थी। मैंने ठीक कर दी है।
प्रिय मदन भाई जी, जीवन और जवानी का अति सुंदर संदेश.
अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.
प्रिय मदन भाई जी, जीवन और जवानी का अति सुंदर संदेश.
जियो ऐसे कि औरों को भी जीने का मजा आये
मदन ,जीबन क्या ,बुलबुला है, आखिर फुट जाता है, बहुत खूब .
आपकी सार्थक प्रतिक्रया हेतु शुभकामनाओं सहित आप का हार्दिक साभार ,धन्यबाद ……
वाह जी वाह !!!
प्रोत्साहन के लिए आपका हृदयसे आभार