मनचाहा मुकाम
जीवन है एक कोरा कागज़
जिस पर सुनहरी कलम से
लिखा सबसे पहला शब्द
होता है लाजवाब,
यह कोई कोरी स्लेट नहीं
जिस पर बत्ती या चॉक से
लिखे किसी भी शब्द का
मिटाया जा सकता है शबाब,
इस कोरे कागज़ पर आप चाहें तो
पहला शब्द लिखा जा सकता है
साहस या हिम्मत या जज़्बा
या फिर लिख सकते हैं कायरता जनाब.
कायरता लिखते ही सब अवगुणों को
मिल जाती है अंदर आने की इजाज़त
साहस तो है स्वयं में ही एक इबादत
इसके लिखते ही चार्ज होने लगती है
स्वतः ही सद्गुणों की सकारात्मक बैटरी
और प्रारम्भ होने लगती है
प्रेम-दया-अनुशासन की अनमोल इनायत.
फिर आपका मन बन जाता है जीत का किला
मज़बूती का चल निकलता है अनमिट सिलसिला
हर मजबूरी बन जाती है आपकी गुलाम
जब तक जीते हैं मिलता रहता है शक्ति का भंडार
लोग देखकर दंग रह जाते हैं आपके कारनामे
भौतिक शरीर रहे-न-रहे
आपके किस्से ही तय करते हैं
आपका मनचाहा मुकाम.
बहुत सुंदर कविता, बहिन जी !
प्रिय विजय भाई जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.
प्रेरक रचना उम्दा
प्रिय सखी विभा जी, सार्थक प्रतिक्रिया करने के लिए शुक्रिया.
जीवन के कोरे कागज़ पर साहस या हिम्मत लिखने की प्रेरणा देकर आपने पाठकों का सन्मार्गदर्शन किया है। हार्दिक धन्यवाद। ईश्वर भी साहस व असीम बल या शक्ति का प्रतीक है। यदि हम ईश्वर का मुख्य नाम ओ३म्अपने जीवन के कोरे कागज़ पर लिख दे तो शायद इससे भी वही लक्ष्य प्राप्त होगा जिसकी और आपने संकेत किया है। नमस्ते आदरणीय बहिन जी।
प्रिय मनमोहन भाई जी, सृष्टि का आदि शब्द ओ३म् निश्चय ही कल्याणकारी है, इसको जीवन के कोरे कागज़ पर लिखना कल्याणकारी ही होगा. सार्थक प्रतिक्रिया करने के लिए शुक्रिया.
धन्यवाद आदरणीय बहिन जी।
सुंदर
सुंदर
प्रिय सखी नीतू जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
लीला बहन, सकार्त्मिकता की तस्वीर है आप की कविता ,बहुत बढिया लगी ,
लोग देखकर दंग रह जाते हैं आपके कारनामे
भौतिक शरीर रहे-न-रहे
आपके किस्से ही तय करते हैं
आपका मनचाहा मुकाम. वाह किया शब्द हैं !
प्रिय गुरमैल भाई जी, बस आपका आशीर्वाद है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.