कविता : एक प्रश्न
पश्चिमी सभ्यता के पैरोकार और धर्म का धन्धा करने वाले नैतिक-शिक्षा के ठेकेदार फिल्म-जगत से . . पूछना चाहता हूँ एक प्रश्न ?
मुझे पूछना है फिल्मी -दुनिया, के चाँद-सितारों से ।
क्या होगा नैतिक-शिक्षा के, दिखलावे के नारों से ?
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अर्द्धनग्न हो बहू-बेटियाँ, जहाँ पे नाचा करती हैं ।
‘भारत’ ऐसा देश नहीं, फूहड़ता जहाँ थिरकती है ।।
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नंगा-नाच लड़कियों से, करवाते हो, दिखलाते हो ।
नारी का सम्मान करो, यह नारा खूब लगाते हो !
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मुझे बताओ दोनों बाते, एक साथ कैसे सम्भव हैं ?
‘भारतीय-संस्कृति’ अपनाए, बिन यह सदा असम्भव है ।।
. . . . . . . . राम दीक्षित ‘आभास’