बाल कविता
ख्वाहिशें तो मेरी भी ऐसी हैं
जाने क्यों सब मुझको कहते छोटा है।
जी मेरा भी गगन छूने को करता है
पँख लगा बस उड़ने को करता है।
जाने क्यों सब मुझको कहते छोटा है
दिल में मेरे भी अरमान पनपता है
जो करते बड़े ऐसा करने को करता है।
लगता है जो भी बड़ा हो जाता है
वो बस अपनी मनमानी ही करता है।
जल्दी जल्दी बड़ा हो जाऊं मैं भी
करूं वही जो मेरा दिल करता है।।।
कामनी गुप्ता ***