कविता : प्रार्थना
मन का सूरज
कभी डूबने ना पाए
आशाओं का नया सवेरा
जीवन की सोई
आस जगाए
पंछियों का कलरव
छेड़े नई साज
ठंडी पुरवाई का झोंका
मन की सारी
जलन मिटाए
सकारात्मकता की ज्योत
जले जीवन में
नकारात्मकता का अँधेरा
दूर हटाए
खुला हो आसमान
पंछियों की तरह
उड़े और चहचहाएँ
चले , थके कभी
गिर भी जाए
पर रुके ना कदम कहीं
हे ईश्वर दे
ऐसी दुआएँ
कभी झुकूँ तो
चरण तेरे हो
करूँ ऐसा करम की
कभी लड़खड़ाउँ तो
मिले तेरी पनाहें
लाजवाब सृजन
dhanywad sir
प्रेरक रचना बिटिया
shukriya aanty ji 🙂
सुन्दर सृजन!!रीना जी!!
dhanywad sir
प्रिय सखी रीना जी, अति सुंदर प्रार्थना के लिए आभार.
bahut-bahut dhanywad 🙂