कुंडलियां : देख चुनावी जीत को…
देख चुनावी जीत को, मनवा भरे उमंग
नेता जी पर चढ़ गया, जूं फ़ागुन का रंग
जूं फ़ागुन का रंग, बहुत ज़्यादा बौराये
खूब मचाई धूम, अरु लड्डू बंटवाये
कह बंसल कविराय,फटीचर हो गये शेख
लल्लन जी चुपचाप, जीत रहे उनकी देख||
अम्मा दीदी को मिली, देखो भारी जीत
जनता ने फिर चुन लिया, दोनों को मनमीत
दोनों को मनमीत, बनाकर सौंपी गद्दी
बाकी सब हो गये, बिना बिक्री की रद्दी
कह बंसल कविराय, हुआ हर कोय निकम्मा
सबने चाटी धूल, जीत गयी दीदी अम्मा
उन्नीस के सपने लिए, देख रहे सब आस
अपनी अपनी जीत का, सबको है विश्वास
सबको है विश्वास, कर रहे सब तैयारी
अपने वोटर लगे, सभी को जनता सारी
कह बंसल कविराय ,दुखी है जनता पिस पिस
होगी मन की बात , जब आयेगा उन्नीस॥
सतीश बंसल
प्रिय सतीश भाई जी, अति उत्तम सामयिक कुंडलियाँ. बधाई.
उत्तम सामयिक कुंडलियाँ !
आभार आद. विजय जी