इंसानों को सीख
भीषण गर्मी के बीच
गुजरात के गिर नेशनल पार्क में
एक साथ प्यास बुझाते नौ शेर
हमें सिखलाते हैं
मिलकर जिओ और जीने दो
मिलकर पानी पिओ और पीने दो
समूह में जो भी नया शेर आता
सरककर उसके लिए जगह बनाई जा रही थी
मानो हमें एक अनुपम सीख दी जा रही थी
किसी से उसकी जाति या नस्ल नहीं पूछी गई
आप भी आइए आपका भी स्वागत है भई
छोटे-बड़े सबका बराबर सम्मान किया गया
सबको एक समान स्थान दिया गया
सभी पंक्तिबद्ध अनुशासन में खड़े थे
नहीं आपस में किसी बात पर लड़े थे
सभी झुककर पानी पी रहे थे
वे विनम्रता दिखाते हुए जी रहे थे
एक घाट पर नौ शेर प्रेम से पानी पी रहे थे
सचमुच वे जंगल के राजा की तरह जी रहे थे
इंसानों को भी ऐसा ही करने की सीख दे रहे थे.
कल जब यह विडिओ टीवी पर देखि तो हम हैरान और खुश हो गए . यूं तो जंगल में ऐसी मिल्वार्त्न होती ही होगी लेकिन खुद आँखों से देख मन खुश हो गिया . बस अब इन्सान को इस से सीख लेने की जरुरत है .
कल जब यह विडिओ टीवी पर देखि तो हम हैरान और खुश हो गए . यूं तो जंगल में ऐसी मिल्वार्त्न होती ही होगी लेकिन खुद आँखों से देख मन खुश हो गिया . बस अब इन्सान को इस से सीख लेने की जरुरत है .
प्रिय गुरमैल भाई जी, इंसान सीख ले, तभी बात बने. अति सुंदर व सार्थक आलेख के लिए आभार.
सही में संसाधनों की कमी में भी एक दूसरे को पहल देकर जीने से ही मानव का जीना आसन हो जाएगा और वसुदैव कुटुम्बकम सार्थक होगा
सुन्दर कविता के लिए बधाई
प्रिय अर्जुन भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.