कविता

इंसानों को सीख

भीषण गर्मी के बीच
गुजरात के गिर नेशनल पार्क में
एक साथ प्यास बुझाते नौ शेर
हमें सिखलाते हैं
मिलकर जिओ और जीने दो
मिलकर पानी पिओ और पीने दो
समूह में जो भी नया शेर आता
सरककर उसके लिए जगह बनाई जा रही थी
मानो हमें एक अनुपम सीख दी जा रही थी
किसी से उसकी जाति या नस्ल नहीं पूछी गई
आप भी आइए आपका भी स्वागत है भई
छोटे-बड़े सबका बराबर सम्मान किया गया
सबको एक समान स्थान दिया गया
सभी पंक्तिबद्ध अनुशासन में खड़े थे
नहीं आपस में किसी बात पर लड़े थे
सभी झुककर पानी पी रहे थे
वे विनम्रता दिखाते हुए जी रहे थे
एक घाट पर नौ शेर प्रेम से पानी पी रहे थे
सचमुच वे जंगल के राजा की तरह जी रहे थे
इंसानों को भी ऐसा ही करने की सीख दे रहे थे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “इंसानों को सीख

  • कल जब यह विडिओ टीवी पर देखि तो हम हैरान और खुश हो गए . यूं तो जंगल में ऐसी मिल्वार्त्न होती ही होगी लेकिन खुद आँखों से देख मन खुश हो गिया . बस अब इन्सान को इस से सीख लेने की जरुरत है .

  • कल जब यह विडिओ टीवी पर देखि तो हम हैरान और खुश हो गए . यूं तो जंगल में ऐसी मिल्वार्त्न होती ही होगी लेकिन खुद आँखों से देख मन खुश हो गिया . बस अब इन्सान को इस से सीख लेने की जरुरत है .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, इंसान सीख ले, तभी बात बने. अति सुंदर व सार्थक आलेख के लिए आभार.

  • अर्जुन सिंह नेगी

    सही में संसाधनों की कमी में भी एक दूसरे को पहल देकर जीने से ही मानव का जीना आसन हो जाएगा और वसुदैव कुटुम्बकम सार्थक होगा
    सुन्दर कविता के लिए बधाई

    • लीला तिवानी

      प्रिय अर्जुन भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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