कविता

तुम बिन

जब आधा जीवन कट ही गया
बाकी पल भी तुम बिन कट जाएँगे

इंतजार के खेत आधे पाटे मैंने
बाकी भी मेरे आंसुओं से पट जाएँगे

आधे सपने पलकों से झड़ गए
बाकी आधे भी आँखों से हट जाएँगे

तुम्हारा होना ही दिल ने सदा सुनाया
तुम्हारा न होना भी अब रट जाएँगे

बहुत दर्द दिल में भरे मेरे
थोड़े और ही सही, अट जाएँगे

बस अब दिखे भवसागर का तट
तो दौड़कर हम झट जाएँगे

फिर तो विश्राम ही विश्राम हो
जब आँखों के बंद हो पट जाएँगे

फिर न इस भ्रम का आसरा रहेगा
कि अब भी हम पलट जाएँगे।

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*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]

2 thoughts on “तुम बिन

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    फिर तो विश्राम ही विश्राम हो

    जब आँखों के बंद हो पट जाएँगे univarsal truth !

    • नीतू सिंह

      जी। बिल्कुल।

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