तुम बिन
जब आधा जीवन कट ही गया
बाकी पल भी तुम बिन कट जाएँगे
इंतजार के खेत आधे पाटे मैंने
बाकी भी मेरे आंसुओं से पट जाएँगे
आधे सपने पलकों से झड़ गए
बाकी आधे भी आँखों से हट जाएँगे
तुम्हारा होना ही दिल ने सदा सुनाया
तुम्हारा न होना भी अब रट जाएँगे
बहुत दर्द दिल में भरे मेरे
थोड़े और ही सही, अट जाएँगे
बस अब दिखे भवसागर का तट
तो दौड़कर हम झट जाएँगे
फिर तो विश्राम ही विश्राम हो
जब आँखों के बंद हो पट जाएँगे
फिर न इस भ्रम का आसरा रहेगा
कि अब भी हम पलट जाएँगे।
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फिर तो विश्राम ही विश्राम हो
जब आँखों के बंद हो पट जाएँगे univarsal truth !
जी। बिल्कुल।